| 1 |
अव्यग्र |
ॐ अव्यग्राय नमः |
स्थिर एवं अटल स्वभाव वाले |
| 2 |
अव्यय |
ॐ अव्ययाय नमः |
जो अपरिवर्तनीय हैं। |
| 3 |
अपवर्गप्रद |
ॐ अपवर्गप्रदाय नमः |
मोक्ष प्रदान करने वाले |
| 4 |
अनन्त |
ॐ अनन्ताय नमः |
जो अनश्वर एवं अन्तहीन हैं। |
| 5 |
अनीश्वर |
ॐ अनीश्वराय नमः |
जिनका कोई स्वामी नहीं हैं। |
| 6 |
अव्यक्त |
ॐ अव्यक्ताय नमः |
जो अप्रत्यक्ष हैं। |
| 7 |
अज |
ॐ अजाय नमः |
जो अजन्मा, असीमित एवं अजेय हैं। |
| 8 |
अनघ |
ॐ अनघाय नमः |
जो निर्विकार एवं दोषरहित हैं। |
| 9 |
अम्बिकानाथ |
ॐ अम्बिकाानाथाय नमः |
जो देवी अम्बिका (पार्वती) के पति हैं। |
| 10 |
अंधकारसुर सूदन |
ॐ अन्धकासुरसूदनाय नमः |
स्थिर एवं अटल स्वभाव वाले |
| 11 |
अष्टमूर्ति |
ॐ अष्टमूर्तये नमः |
आठ रूपों वाले |
| 12 |
अनेकात्मा |
ॐ अनेकात्मने नमः |
अनेक रूप धारण करने वाले |
| 13 |
अहिर्बुध्न्य |
ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः |
जो समस्त सृष्टि का आधार हैं / कुण्डलिनी धारण करने वाले |
| 14 |
उग्र |
ॐ उग्राय नमः |
अत्यन्त उग्र प्रकृति वाले |
| 15 |
कपर्दी |
ॐ कपर्दिने नमः |
जटा धारण करने वाले |
| 16 |
कपाली |
ॐ कपालिने नमः |
गले में कपाल की माला धारण करने वाले |
| 17 |
कामारी |
ॐ कामारये नमः |
कामदेव को भस्म करने वाले |
| 18 |
कालकाल |
ॐ कालकालाय नमः |
जो काल के भी काल हैं। |
| 19 |
कृपानिधि |
ॐ कृपानिधये नमः |
भक्तों पर कृपा करने वाले, कृपा के सागर |
| 20 |
कैलासवासी |
ॐ कैलासवासिने नमः |
कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले |
| 21 |
कवची |
ॐ कवचिने नमः |
विभिन्न प्रकार के आयुध धारण करने वाले |
| 22 |
कठोर |
ॐ कठोराय नमः |
अत्यधिक सुदृढ़ शरीर वाले एवं अति बलशाली |
| 23 |
कृत्तिवासा |
ॐ कृत्तिवाससे नमः |
बाघम्बर धारण करने वाले |
| 24 |
खटवांगी |
ॐ खट्वाङ्गिने नमः |
खट्वाङ्ग नामक आयुध धारण करने वाले |
| 25 |
खण्डपरशु |
ॐ खण्डपरशवे नमः |
खण्डित परशु धारण करने वाले |
| 26 |
गङ्गाधर |
ॐ गङ्गाधराय नमः |
जटाओं में देवी गङ्गा को धारण करने वाले |
| 27 |
गिरीश |
ॐ गिरीशाय नमः |
जो पर्वतों के स्वामी हैं। |
| 28 |
गिरिश |
ॐ गिरिशाय नमः |
कैलाश पर्वत पर शयन करने वाले |
| 29 |
गिरिधन्वा |
ॐ गिरिधन्विने नमः |
मेरु पर्वत को अपने धनुष के रूप में धारण करने वाले |
| 30 |
गिरिप्रिय |
ॐ गिरिप्रियाय नमः |
जिन्हें पर्वत अति प्रिय हैं / जिन्हें देवी पार्वती अत्यन्त प्रिय हैं। |
| 31 |
गणना |
ॐ गणनाथाय नमः |
जो समस्त गणों (देवगण, मनुष्यगण एवं राक्षसगण) के अधिपति हैं। |
| 32 |
चारुविक्रम |
ॐ चारुविक्रमाय नमः |
सुन्दरता को जीतने वाले |
| 33 |
जटाधर |
ॐ जटाधराय नमः |
जटा धारण करने वाले |
| 34 |
जगद्व्यापी |
ॐ जगद्व्यापिने नमः |
सम्पूर्ण सृष्टि में विद्यमान रहने वाले |
| 35 |
जगद्गुरू |
ॐ जगद्गुरुवे नमः |
जो समस्त लोकों के गुरु हैं। |
| 36 |
तारक |
ॐ तारकाय नमः |
जीवों को मोक्ष प्रदान करने वाले |
| 37 |
देव |
ॐ देवाय नमः |
जो सर्वशक्तिशाली सर्वव्यापी ईश्वर हैं। |
| 38 |
दुर्धर्ष |
ॐ दुर्धर्षाय नमः |
जिन्हें पराजित नहीं किया जा सकता |
| 39 |
दिगम्बर |
ॐ दिगम्बराय नमः |
ब्रह्माण्ड को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले |
| 40 |
दक्षाध्वरहर |
ॐ दक्षाध्वरहराय नमः |
दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंश करने वाले |
| 41 |
नीललोहित |
ॐ नीललोहिताय नमः |
नील वर्ण वाले |
| 42 |
पिनाकिन् |
ॐ पिनाकिने नमः |
पिनाक नामक धनुष धारण करने वाले |
| 43 |
परमात्मा |
ॐ परमात्मने नमः |
जो समस्त आत्माओं में श्रेष्ठ हैं। |
| 44 |
पञ्चवक्त्र |
ॐ पञ्चवक्त्राय नमः |
पाँच मुख वाले |
| 45 |
पूषदन्तभित् |
ॐ पूषदन्तभिदे नमः |
पूषन नामक देव के दाँत तोड़ने वाले |
| 46 |
परमेश्वर |
ॐ परमेश्वराय नमः |
सर्वोच्च सत्ताधारी ईश्वर जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन एवं संहार होता हैं। |
| 47 |
परशुहस्त |
ॐ परशुहस्ताय नमः |
परशु नामक अस्त्र धारण करने वाले |
| 48 |
प्रजापति |
ॐ प्रजापतये नमः |
समस्त प्राणियों के स्वामी |
| 49 |
प्रमथाधिप |
ॐ प्रमथाधिपाय नमः |
प्रमथगणों (शिवगणों) के अधिपति |
| 50 |
पुराराति |
ॐ पुरारातये नमः |
त्रिपुरासुर एवं उनके त्रिपुरों (लोकों) का सँहार करने वाले |
| 51 |
भक्तवत्सल |
ॐ भक्तवत्सलाय नमः |
भक्तों पर स्नेह एवं करुणा बरसाने वाले |
| 52 |
भुजङ्गभूषण |
ॐ भुजङ्गभूषणाय नमः |
सर्पों को आभूषण के रूप में धारण करने वाले |
| 53 |
भर्ग |
ॐ भर्गाय नमः |
समस्त पापों को नष्ट करने वाले |
| 54 |
भगवान् |
ॐ भगवते नमः |
जो सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं। |
| 55 |
भव |
ॐ भवाय नमः |
स्वयं प्रकट होने वाले |
| 56 |
भस्मोद्धूलितविग्रह |
ॐ भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः |
सपूर्ण शरीर पर भस्म धारण करने वाले |
| 57 |
भीम |
ॐ भीमाय नमः |
भीमकाय (विशाल) शरीर वाले |
| 58 |
भगनेत्रभिद् |
ॐ भगनेत्रभिदे नमः |
भग का नेत्र क्षतिग्रस्त करने वाले |
| 59 |
भूतपति |
ॐ भूतपतये नमः |
जो पञ्चभूतों (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश) के स्वामी हैं / जो भूतप्रेतों के स्वामी हैं। |
| 60 |
महेश्वर |
ॐ महेश्वराय नमः |
जो देवों के देव हैं। |
| 61 |
मृगपाणी |
ॐ मृगपाणये नमः |
हाथ में नर मृग धारण करने वाले |
| 62 |
मृत्युञ्जय |
ॐ मृत्युञ्जयाय नमः |
मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले |
| 63 |
महासेनजनक |
ॐ महासेनजनकाय नमः |
जो भगवान कार्तिकेय के पिता हैं। |
| 64 |
मृड |
ॐ मृडाय नमः |
सुख-सौभाग्य प्रदान करने वाले |
| 65 |
पाशविमोचन |
ॐ पाशविमोचकाय नमः |
समस्त सांसरिक बन्धनों से मुक्त करने वाले |
| 66 |
पशुपति |
ॐ पशुपतये नमः |
समस्त पशुओं/जीवों के स्वामी |
| 67 |
महादेव |
ॐ महादेवाय नमः |
जो देवों के भी देव हैं। |
| 68 |
यज्ञमय |
ॐ यज्ञमयाय नमः |
जो स्वयं यज्ञ स्वरूप हैं। |
| 69 |
रुद्र |
ॐ रुद्राय नमः |
भक्तों के कष्ट से द्रवित होने वाले |
| 70 |
ललाटाक्ष |
ॐ ललाटाक्षाय नमः |
जिनके ललाट पर तीसरा नेत्र है। |
| 71 |
विष्णुवल्लभ |
ॐ विष्णुवल्लभाय नमः |
जो भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं। |
| 72 |
विश्वेश्वर |
ॐ विश्वेश्वराय नमः |
सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी |
| 73 |
वीरभद्र |
ॐ वीरभद्राय नमः |
जो उग्र भी हैं एवं शान्त भी |
| 74 |
वामदेवाय |
ॐ वामदेवाय नमः |
जो समस्त प्रकार से शुभ एवं सुन्दर हैं। |
| 75 |
विरूपाक्ष |
ॐ विरूपाक्षाय नमः |
तिरछी आँखों वाले भगवान शिव |
| 76 |
वृषाङ्क |
ॐ वृषाङ्काय नमः |
जिनके ध्वज पर वृष (नन्दी) का चिन्ह अङ्कित हैं। |
| 77 |
वृषभारूढ़ |
ॐ वृषभारूढाय नमः |
जो नन्दी पर सवार हैं। |
| 78 |
व्योमकेश |
ॐ व्योमकेशाय नमः |
जिनके केश सम्पूर्ण आकाश में व्याप्त हैं। |
| 79 |
सहस्राक्ष |
ॐ सहस्राक्षाय नमः |
सहस्र नेत्रों वाले |
| 80 |
सहस्रपाद |
ॐ सहस्रपदे नमः |
सहस्र पेरों वाले जो प्रत्येक स्थान पर उपस्थित हैं। |
| 81 |
सोम |
ॐ सोमाय नमः |
जो चन्द्रमा के समान शीतल एवं निर्मल हैं। |
| 82 |
सात्त्विक |
ॐ सात्त्विकाय नमः |
असीमित ऊर्जा के स्वामी |
| 83 |
सामप्रिय |
ॐ सामप्रियाय नमः |
जिन्हें समानता प्रिय है। |
| 84 |
स्वरमयी |
ॐ स्वरमयाय नमः |
जो सङ्गीत में पारङ्गत हैं। |
| 85 |
सूक्ष्मतनु |
ॐ सूक्ष्मतनवे नमः |
सूक्ष्म देह धारण करने वाले |
| 86 |
सर्वज्ञ |
ॐ सर्वज्ञाय नमः |
जो सर्वज्ञाता हैं। |
| 87 |
सदाशिव |
ॐ सदाशिवाय नमः |
जो सदैव शुभ हैं। |
| 88 |
स्थाणु |
ॐ स्थाणवे नमः |
जो अडिग एवं अटल हैं। |
| 89 |
सोमसूर्याग्निलोचन |
ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः |
चन्द्र, सूर्य एवं अग्नि को अपने तीन नेत्रों के रूप में धारण करने वाले |
| 90 |
शुद्धविग्रह |
ॐ शुद्धविग्रहाय नमः |
जो पूर्ण रूप से शुद्ध एवं निर्मल हैं। |
| 91 |
शाश्वत |
ॐ शाश्वताय नमः |
जो अनन्त एवं अविनाशी हैं। |
| 92 |
शितिकण्ठ |
ॐ शितिकण्ठाय नमः |
श्वेत कण्ठ वाले |
| 93 |
शिवाप्रिय |
ॐ शिवाप्रियाय नमः |
जो माता पार्वती को प्रिय हैं। |
| 94 |
शिव |
ॐ शिवाय नमः |
जो परम पावन हैं। |
| 95 |
शङ्कर |
ॐ शङ्कराय नमः |
सुख-सम्पदा प्रदान करने वाले |
| 96 |
शम्भु |
ॐ शम्भवे नमः |
सुख-सम्पत्ति प्रदान करने वाले |
| 97 |
शशिशेखर |
ॐ शशिशेखराय नमः |
शीश पर चन्द्रमा धारण करने वाले |
| 98 |
शिपिविष्ट |
ॐ शिपिविष्टाय नमः |
किरणों से व्याप्त |
| 99 |
शूलपाणी |
ॐ शूलपाणिने नमः |
त्रिशूल धारण करने वाले |
| 100 |
शर्व |
ॐ शर्वाय नमः |
समस्त कष्टों एवं पापों को नष्ट करने वाले |
| 101 |
हिरण्यरेता |
ॐ हिरण्यरेतसे नमः |
सहस्र सूर्यों जितना तेज धारण करने वाले |
| 102 |
हर |
ॐ हराय नमः |
समस्त पाप बन्धनों को नष्ट करने वाले |
| 103 |
हरि |
ॐ हरये नमः |
समस्त पापों को हरने वाले |
| 104 |
हवि |
ॐ हविषे नमः |
जो हवि (हवन में आहुति के रूप में दिये जाने वाले द्रव्य) स्वरूप हैं। |
| 105 |
त्रिपुरान्तक |
ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः |
त्रिपुरासुर का अन्त करने वाले |
| 106 |
त्रयीमूर्ति |
ॐ त्रयीमूर्तये नमः |
जो त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक हैं / जो ऋग्वेद, सामवेद एवं यजुर्वेद के रूप में स्थित हैं। |
| 107 |
त्रिलोकेश |
ॐ त्रिलोकेशाय नमः |
तीनों लोकों के स्वामी एवं अधिपति |
| 108 |
श्रीकण्ठ |
ॐ श्रीकण्ठाय नमः |
सुन्दर कण्ठ वाले |