हनुमान चालीसा(Hanuman Chalisa): पूजा पाठ और लाभ
Hanuman Chalisa
हिन्दू धर्म में हनुमान जी को सर्वश्रेष्ठ देवता माना जाता है। उनकी भक्ति और पूजा अनेकों लोगों के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का स्रोत बनती है। इसके अंतर्गत, हनुमान चालीसा का पाठ एक महत्वपूर्ण आदत है, जिसका मार्गदर्शन वेद-पुराणों में भी मिलता है। इस लेख में, हम हनुमान चालीसा पूजा पाठ करने का कारण और इसके लाभ जानेंगे।
इसे तुलसीदास जी ने रचा है। यह हिन्दी साहित्य का एक प्रमुख और प्रसिद्ध भजन है। हनुमान चालीसा के 40 श्लोकों में हनुमान जी की महिमा, गुणों, लीलाएं और मान्यताएं वर्णित हैं। यह चालीसा पूरे देश में विस्तारपूर्वक प्रसिद्ध है और हर वर्ष हनुमान जयंती पर लाखों लोग इसका पाट करते हैं।
हनुमान चालीसा पूजा पाठ करने का कारण और लाभ:
हनुमान चालीसा पूजा पाठ करने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं:
– बुद्धिबल और धैर्य के वृद्धि: हनुमान चालीसा के पाठ से मानसिक शक्ति एवं बुद्धि की वृद्धि होती है। यह अवश्यक है जब हनुमान चालीसा का पाट करने से हमें कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता है और आसानी सारी दुविधा पार हो जाती हैं
– रोग निवारण और सुरक्षा: हनुमान जी की कृपा से रोगों का निवारण होता है और व्यक्ति को सुरक्षा कवच मिलती है।
– भक्ति एवं समर्पण की भावना: हनुमान जी को प्रेम और विश्वास के साथ पूजने से भक्ति और समर्पण की भावना में वृद्धि होती है।
– नकारात्मक ऊर्जा का निवारण: हनुमान चालीसा के पाठ से नकारात्मक ऊर्जा का निवारण होता है और पूर्णता, शांति और समृद्धि की ऊर्जा घर परिवार में फैलती है।
– ग्रह दोष निवारण: हनुमान चालीसा के पाठ से ग्रहों के दोषों का निवारण होता है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
– मानसिक शक्ति एवं बुद्धि का विकास: हनुमान चालीसा पूजा पाठ से बुद्धि और बुद्धिबल का विकास होता है। यह मानसिक तनाव को कम करने, विचारशक्ति को मजबूत करने और निर्णय लेने की क्षमता को वृद्धि देता है।
– रक्षा और सुरक्षा: हनुमान जी की कृपा से भक्त को रक्षा और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
– रोग निवारण: हनुमान चालीसा के पाठ से रोगों का निवारण होता है और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
– समृद्धि और सफलता: हनुमान चालीसा के पाठ से धन, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
श्री हनुमान चालीसा
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा :
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
हनुमान चालीसा पूजा पाठ करने से हमें आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होता है। इसके अंतर्गत हनुमान जी की कृपा से हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता, सुरक्षा और समस्त दुःखों का निवारण होता है। हनुमान चालीसा का पूजा पाठ करने से हमारा मन और आत्मा पवित्र होते हैं और हम अपने जीवन को धर्म, भक्ति और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। इसलिए, हनुमान चालीसा पूजा पाठ को नियमित रूप से करना हमारे जीवन के उद्धार और उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।