दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)
इस चालीसा में दिव्य मां की शक्ति, साहस, सौंदर्य, राक्षसों से लड़ाई और देवी दुर्गा का वर्र्णन किया गया है। संस्कृत में दुर्गा का अर्थ “एक किला या एक स्थान” है जो सुरक्षित होता है और इसे प्राप्त करना मुश्किल है। दुर्गा, जिसे दिव्य मां भी कहा जाता है, स्वार्थ, ईर्ष्या, पूर्वाग्रह, नफरत, गुस्सा और अहंकार जैसे दुष्ट शक्तियों को नष्ट करके मनुष्यता की रक्षा करती है। नवरात्रि के दौरान धुर्गा चालीसा का पाठ करने से सकारात्मक प्रभाव मिलता है। बहुत से लोग नवरात्रि के दौरान उपवास रखते हैं और दुर्गा माँ की भक्ति और प्रार्थना के बाद भोजन करते हैं। अनावश्यक विचारों से छुटकारा पाने के लिए, माँ दुर्गा चालीसा का पाठ करे जिसे आप को मन की शांति मिलेगी।
पाठ करने का श्रेष्ठ दिन – किसी भी दिन, कितनी भी बार
(Best Day to chant – any day, any number of times)
अन्य शुभ दिन – नवरात्रि
(Other aspious days – Navratri)
श्री दुर्गा चालीसा – Durga Chalisa
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥1॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥2॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥3॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥4॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुँलोक में डंका बाजत॥5॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥6॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥7॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥8॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
मोह मदादिक सब बिनशावें॥9॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥10॥
देवीदास शरण निज जानी।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
Maa Durga Photo
दुर्गा चालीसा के लाभ / महत्व
- नवरात्रि के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपका आध्यात्मिक और भावनात्मक जागरूक होता है।
- अगर आप अनावश्यक विचारों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपको मानसिक शांति मिलेगी।
- दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से आपमें सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होगी। यह आपको दुष्ट आत्माओं से लड़ने की ऊर्जा प्रदान करेगी।
- हर दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आप और आपका परिवार आर्थिक हानि से बच सकते हैं।
- यह आपको अन्य प्रकार की कठिनाइयों और हानियों से बचाता है।
- इसके अलावा, दुर्गा चालीसा का पाठ करने से निराशा, कामना, दीवानगी जैसी मजबूत भावनाएँ दूर होती है और सकारात्मक मानसिकता उत्पन्न होती है।
- देवी की ईमानदारी और सच्चे मन से प्राथना करने से धन, ज्ञान और समृद्धि की वर्षा होती है।
यदि आपका दिल सच्ची इच्छा से भरा हो, तो आपको दुर्गा चालीसा जरूर पढ़नी चाहिए। माना जाता है कि भक्तों द्वारा दुर्गा चालीसा का पवित्र पाठ किया जाता है तो मां बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।